सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक जिले के भागूर गाँव में हुआ था। उनके पिता दामोदर सावरकर एक सरकारी कर्मचारी थे और उनकी माँ राधाबाई सावरकर एक गृहिणी थीं। सावरकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नासिक में ही पूरी की और उसके बाद उन्होंने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की।
कॉलेज के दिनों में ही सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए थे। उन्होंने 1905 में 'अभिनव भारत' नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की और 1906 में लंदन चले गए। वहाँ उन्होंने 'इंडिया हाउस' की स्थापना की और भारतीय छात्रों को क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।
1910 में सावरकर को भारत सरकार ने गिरफ्तार कर लिया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उन्होंने 1921 तक अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सेलुलर जेल में सजा काटी। रिहा होने के बाद उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में फिर से भाग लिया और 1937 में वे हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने।
सावरकर ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा को विकसित किया और भारतीयों को एकजुट होने और ब्रिटिश शासन से लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें 'हिंदुत्व: हू इज ए हिंदू?', 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस' और 'माई लाइफ एंड मिशन' प्रमुख हैं।
सावरकर का निधन 26 फरवरी 1966 को मुंबई में हुआ था। उन्हें भारत के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक माना जाता है और उनके विचार आज भी भारतीय राजनीति और समाज को प्रभावित करते हैं।