Is there any Hindi poem on seasons?

ऋतुएँ (Rituen)

वसंत:

फूल खिले, हवा में बहार,

पक्षी गा रहे, सुखद नज़ार।

ग्रीनरी फैली, हर तरफ़ खुशियाँ,

वसंत आया, है मन में उमंग।

ग्रीष्म:

धूप तेज, गर्मी का दौरा,

प्यास लगी, सबकी हो रही पुकार।

पेड़ झुक गए, सूरज की चमक,

ग्रीष्म आया, पसीना बह रहा है धरक।

वर्षा:

बादल गरजे, बारिश हुई,

पृथ्वी हरी, खुशी से भरी।

नदियाँ बह गई, नज़ारा सुंदर,

वर्षा आई, धरती हुई हरी-भरी।

शरद:

पत्ते पीले, हवा में लहराए,

फल पके, मिठास से लबरेज़।

सूरज धीमा, शाम हुई जल्दी,

शरद आया, फ़िज़ा में है सुकून।

शीत:

ठंडी हवा, सर्दी का मौसम,

कम्बल ओढ़े, बैठे हैं घर में।

बर्फ गिरी, नज़ारा देखने लायक,

शीत आया, सब कुछ सफ़ेद।

अंत:

हर ऋतु में, रंग अलग,

हर मौसम में, ख़ुशी अलग।

प्रकृति की सुंदरता, अद्भुत नज़ारा,

हर ऋतु में, है कुछ नया और खास।

Note: This poem is a simple representation of the seasons and can be expanded or modified based on personal interpretation and artistic expression.

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