वसंत:
फूल खिले, हवा में बहार,
पक्षी गा रहे, सुखद नज़ार।
ग्रीनरी फैली, हर तरफ़ खुशियाँ,
वसंत आया, है मन में उमंग।
ग्रीष्म:
धूप तेज, गर्मी का दौरा,
प्यास लगी, सबकी हो रही पुकार।
पेड़ झुक गए, सूरज की चमक,
ग्रीष्म आया, पसीना बह रहा है धरक।
वर्षा:
बादल गरजे, बारिश हुई,
पृथ्वी हरी, खुशी से भरी।
नदियाँ बह गई, नज़ारा सुंदर,
वर्षा आई, धरती हुई हरी-भरी।
शरद:
पत्ते पीले, हवा में लहराए,
फल पके, मिठास से लबरेज़।
सूरज धीमा, शाम हुई जल्दी,
शरद आया, फ़िज़ा में है सुकून।
शीत:
ठंडी हवा, सर्दी का मौसम,
कम्बल ओढ़े, बैठे हैं घर में।
बर्फ गिरी, नज़ारा देखने लायक,
शीत आया, सब कुछ सफ़ेद।
अंत:
हर ऋतु में, रंग अलग,
हर मौसम में, ख़ुशी अलग।
प्रकृति की सुंदरता, अद्भुत नज़ारा,
हर ऋतु में, है कुछ नया और खास।
Note: This poem is a simple representation of the seasons and can be expanded or modified based on personal interpretation and artistic expression.