प्रस्तावना:
मैं, एक सिपाही, जन्म से ही इस देश की मिट्टी से जुड़ा हुआ हूं। मेरे खून में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा है। देश की सेवा करना, अपनी जान की बाजी लगाना, मेरे लिए सम्मान की बात है।
बचपन:
मैं एक छोटे से गांव में पला-बढ़ा। खेती-किसानी में मेरा हाथ बड़ा था। मगर, बचपन से ही मेरे दिल में देश के लिए कुछ करने की चाह थी। सैनिकों की वीरता की कहानियां सुनकर मैं रोमांच से भर जाता था।
सेना में प्रवेश:
जब मैं बड़ा हुआ, तो मैंने सेना में भर्ती होने का फैसला किया। कठिन प्रशिक्षण ने मुझे तन-मन से मजबूत बनाया। मैंने अनेक चुनौतियों का सामना किया, अपनी सीमाओं को पार किया।
सेवा में:
सेना में मेरी सेवा का सफर चुनौतियों से भरा रहा। मैंने देश की सीमाओं की रक्षा की, आतंकवाद से लड़ी, और अपने देशवासियों की सुरक्षा की। हर चुनौती ने मुझे और मजबूत बनाया, और देश के लिए सेवा करने का मेरा जज्बा और भी बढ़ाया।
परिवार और दोस्त:
मैं अपनी पत्नी और बच्चों को बहुत प्यार करता हूं। उनका सहयोग और प्रेरणा मुझे हमेशा आगे बढ़ाती रहती है। सेना में मेरे कई दोस्त बने, जो मेरे लिए परिवार से कम नहीं हैं। हमने साथ में अच्छे बुरे दिन देखे, और एक-दूसरे के लिए हमेशा खड़े रहे।
अंत:
अब मैं सेवानिवृत्त हो चुका हूं, मगर मेरा देश के लिए सेवा करने का जज्बा अभी भी कायम है। मैं चाहता हूं कि मेरे देश के युवा भी देश की सेवा के लिए आगे आएं, और अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा करें।
निष्कर्ष:
एक सिपाही के जीवन में खुशियां भी होती हैं, दुख भी होते हैं। मगर, देश की सेवा से बड़ा सुख कुछ नहीं होता। यह मेरा मानना है, और इसी मान्यता के साथ मैं जीवन भर देश की सेवा करता रहूंगा।