मैं एक बूँद हूँ, एक साधारण सी बूँद बारिश की। मेरा जन्म समुद्र में हुआ, जहाँ सूरज की गर्मी ने पानी को भाप में बदल दिया। मैं हवा में उड़ा, ऊपर, ऊपर, आकाश तक। वहाँ ठंडी हवा ने मुझे पकड़ा, और मुझे छोटी-छोटी बूँदों में बदल दिया।
हम, सैकड़ों बूँदें, एक साथ इकट्ठा हुए, एक बादल बन गए। बादल भारी होता गया, और जब और ठंडी हवा आई, तो हम धरती की ओर गिरने लगे।
एक तेज हवा के झोंके ने मुझे एक पत्ते पर गिराया। पत्ते ने मुझे गर्मजोशी से अपना लिया। मैंने पत्ते के साथ नाचते हुए खुद को महसूस किया, हवा के साथ झूलता हुआ। मुझे एक पक्षी के पंख पर एक छोटी सी यात्रा भी करनी पड़ी, जिसने मुझे अपनी पीठ पर बिठाया।
अंत में, मैं एक पेड़ के नीचे गिर पड़ा। मुझे मिट्टी की गंध, पत्तों की सरसराहट, और धरती की नमी का एहसास हुआ। मैंने देखा कि अन्य बूँदें भी मेरे साथ गिर रही थीं, सभी मिलकर एक छोटी सी धार बना रहे थे।
हम सभी मिलकर जमीन को सिंचित कर रहे थे, पौधों को जीवन दे रहे थे। मैं खुश था कि मैं धरती को अपनी थोड़ी सी सेवा दे पा रहा था।
मुझे पता है कि मैं जल्द ही सूख जाऊंगा, या हो सकता है कि कोई पौधा मुझे पी जाए। लेकिन मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मैं जानता हूँ कि मेरा काम पूरा हो गया है। मैंने धरती को जीवन दिया, और यही मेरा उद्देश्य था।
यह मेरी कहानी है, एक बूँद बारिश की, जो जीवन देने के लिए पैदा हुई थी।